रविवार, 22 अगस्त 2010

गजल...मजहब की किताबों से भी इरशाद हुआ मैं

मजहब की किताबों से भी इरशाद हुआ मैं
दुनिया तेरी तामीर में बुनियाद हुआ मैं

सैयाद समझता था रिहा हो न सकूंगा
हाथों की नसें काट के आजाद हुआ मैं

उरियां है मेरे शहर में तहजीब की देवी
मन्दिर का पुजारी था सो, बर्बाद हुआ मैं

मज़मून से लिखता हूँ कई दूसरे मजमूँ
और लोग समझते हैं कि नक्काद हुआ मैं                              

हर शख्स हिकारत से मुझे देख रहा है
जैसे किसी मजलूम की फरियाद हुआ मैं

7 टिप्‍पणियां:

हैरान परेशान ने कहा…

उरियां है मेरे शहर में तहजीब की देवी
मन्दिर का पुजारी था सो, बर्बाद हुआ मैं
कमाल के शेर कहते हैं आप. गजल के सभी अशआर आपने बड़ी ही मेहनत, ज़हानत से कहे हैं. ब्लॉग जगत में आप जैसे अनुभवी रचनाकारों की जरूरत है.
आपका नेट की दुनिया में स्वागत है.

श्रद्धा जैन ने कहा…

Sanjay ji aapka blog ki duniya mein swagat hai .. aapki gazlen ab ham sab padh sakenge isse zayada khushi ki baat kya ho sakti hai ..
aapki pahli gazal ka ye sher behad pasand aaya

हर शख्स हिकारत से मुझे देख रहा है
जैसे किसी मजलूम की फरियाद हुआ मैं

ummed hai ki aap ab jaldi jaldi gazal padhate rahenge

अर्चना तिवारी ने कहा…

संजय जी, ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है...प्रस्तुत ग़ज़ल बहुत अच्छी बन पड़ी है..सारे अशआर अच्छे हैं...बधाई !

सर्वत एम० ने कहा…

सबसे पहले ब्लोगस की दुनिया में आपका खैरमकदम. आपके आने से हम 'अल्पसंख्यकों' की थोड़ी हौसला अफजाई जरूर होगी.
गजल तो खैर, मैं क्या तारीफ करूं, आप तो माहिरे-फन हैं. एक शेर जरूर बेहद पसंद आया-
मज़मून से लिखता हूँ कई दूसरे मजमूँ
और लोग समझते हैं कि नक्काद हुआ मैं

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

मज़मून से लिखता हूँ कई दूसरे मजमूँ
और लोग समझते हैं कि नक्काद हुआ मैं

वाह!क्या बातहै!

हर शख़्स हिक़ारत से मुझे देख रहा है
जैसे किसी मजलूम की फरियाद हुआ मैं
बहुत ख़ूब!
उम्दा तर्ज़ ए अदायगी

..मस्तो... ने कहा…

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सैयाद समझता था रिहा हो न सकूंगा
हाथों की नसें काट के आजाद हुआ मैं
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achha sher hai. :)

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मज़मून से लिखता हूँ कई दूसरे मजमूँ
और लोग समझते हैं कि नक्काद हुआ मैं
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ha ha ha ha ha bahut badhiya sher hai..

Khoobsoorat..ghazal hui hai..!

नीरज गोस्वामी ने कहा…

हर शख्स हिकारत से मुझे देख रहा है
जैसे किसी मजलूम की फरियाद हुआ मैं

zindabaad...zindabaad...zindabaad...behad khoobsurat gazal...daad kabool karen..


neeraj